آسف کا زبور۔ اے اللہ، اجنبی قومیں تیری موروثی زمین میں گھس آئی ہیں۔ اُنہوں نے تیری مُقدّس سکونت گاہ کی بےحرمتی کر کے یروشلم کو ملبے کا ڈھیر بنا دیا ہے۔
हे परमेश्वर, कुछ लोग तेरे भक्तों के साथ लड़ने आये हैं।
उन लोगों ने तेरे पवित्र मन्दिर को ध्वस्त किया,
और यरूशलेम को उन्होंने खण्डहर बना दिया।
اپنا غضب اُن اقوام پر نازل کر جو تجھے تسلیم نہیں کرتیں، اُن سلطنتوں پر جو تیرے نام کو نہیں پکارتیں۔
हे परमेश्वर, अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में जो तुझको नहीं पहचानते मोड़,
अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में मोड़ जो तेरे नाम की आराधना नहीं करते।
دیگر اقوام کیوں کہیں، ”اُن کا خدا کہاں ہے؟“ ہمارے دیکھتے دیکھتے اُنہیں دکھا کہ تُو اپنے خادموں کے خون کا بدلہ لیتا ہے۔
दूसरी जाति के लोगों को तू यह मत कहने दे,
“तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? क्या वह तुझको सहारा नहीं दे सकता है?”
हे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे ताकि उस दण्ड को हम भी देख सकें।
उन लोगों को तेरे भक्तों को मारने का दण्ड दे।
اے رب، جو لعن طعن ہمارے پڑوسیوں نے تجھ پر برسائی ہے اُسے سات گُنا اُن کے سروں پر واپس لا۔
हे परमेश्वर, हम जिन लोगों से घिरे हैं,
उनको उन अत्यचारों का दण्ड सात गुणा दे।
हे परमेश्वर, उन लोगों को इतनी बार दण्ड दे जितनी बार वे तेरा अपमान किये है।