Psalms 4

मेरे उत्तम परमेश्वर, जब मैं तुझे पुकारुँ, मुझे उत्तर दे। मेरी विनती को सुन और मुझ पर कृपा कर। जब कभी विपत्तियाँ मुझको घेरें तू मुझ को छुड़ा ले।
victori in psalmis canticum David invocante me exaudi me Deus iustitiae meae in tribulatione dilatasti mihi miserere mei et exaudi orationem meam
अरे लोगों, कब तक तुम मेरे बारे में अपशब्द कहोगे? तुम लोग मेरे बारे में कहने के लिये नये झूठ ढूँढते रहते हो। उन झूठों को कहने से तुम लोग प्रीति रखते हो।
filii viri usquequo incliti mei ignominiose diligitis vanitatem quaerentes mendacium semper
तुम जानते हो कि अपने नेक जनों की यहोवा सुनता है! जब भी मैं यहोवा को पुकारता हूँ, वह मेरी पुकार को सुनता है।
et cognoscite quoniam mirabilem reddidit Dominus sanctum suum Dominus exaudiet cum clamavero ad eum
यदि कोई वस्तु तुझे झमेले में डाले, तू क्रोध कर सकता है, किन्तु पाप कभी मत करना। जब तू अपने बिस्तर में जाये तो सोने से पहले उन बातों पर विचार कर और चुप रह।
irascimini et nolite peccare loquimini in cordibus vestris super cubilia vestra et tacete semper
समुचित बलियाँ परमेश्वर को अर्पित कर और तू यहोवा पर भरोसा बनाये रख।
sacrificate sacrificium iustitiae et fidite in Domino multi dicunt quis ostendit nobis bonum
बहुत से लोग कहते हैं, “परमेश्वर की नेकी हमें कौन दिखायेगा? हे यहोवा, अपने प्रकाशमान मुख का प्रकाश मुझ पर चमका।”
leva super nos lucem vultus tui Domine dedisti laetitiam in corde meo
हे यहोवा, तुने मुझे बहुत प्रसन्न बना दिया। कटनी के समय भरपूर फसल और दाखमधु पाकर जब हम आन्नद और उल्लास मनाते हैं उससे भी कहीं अधिक प्रसन्न मैं अब हूँ।
in tempore frumentum et vinum eorum multiplicata sunt
मैं बिस्तर में जाता हूँ और शांति से सोता हूँ। क्योंकि यहोवा, तू ही मुझको सुरक्षित सोने को लिटाता है।
in pace simul requiescam et dormiam quia tu Domine specialiter securum habitare fecisti me