धिक्कार है उस व्यक्ति को जो एक कठपुतली से कहता है, “ओ देवता, जाग उठ!” उस व्यक्ति को धिक्कार है जो एक ऐसी पत्थर की मूर्ति से जो बोल तक नहीं पाती, कहता है, “ओ देवता, उठ बैठ!” क्या वह कुछ बोलेगी और उसे राह दिखाएगी वह मूर्ति चाहे सोने से मढ़ा हो, चाहे चाँदी से, किन्तु उसमें प्राण तो है ही नहीं।
Ουαι εις τον λεγοντα προς το ξυλον, Εξεγειρου εις τον αφωνον λιθον, Σηκωθητι αυτο θελει διδαξει; Ιδου, αυτο ειναι περιεσκεπασμενον με χρυσον και αργυρον, και δεν ειναι πνοη παντελως εν αυτω.