फिर किसी ने जो मनुष्य के जैसा दिखाई दे रहा था, मेरे होंठों को छुआ। मैंने अपना मुँह खोला और बोलना आरम्भ किया। मेरे सामने जो खड़ा था, उससे मैंने कहा, महोदय, मैंने दर्शन में जो देखा था, मैं उससे व्याकुल और भयभीत हूँ। मैं अपने को असहाय समझ रहा हूँ।
وَهُوَذَا كَشِبْهِ بَنِي آدَمَ لَمَسَ شَفَتَيَّ، فَفَتَحْتُ فَمِي وَتَكَلَّمْتُ وَقُلْتُ لِلْوَاقِفِ أَمَامِي: «يَا سَيِّدِي، بِالرُّؤْيَا انْقَلَبَتْ عَلَيَّ أَوْجَاعِي فَمَا ضَبَطْتُ قُوَّةً.