Il déchirera les ailes, sans les détacher; et le sacrificateur brûlera l'oiseau sur l'autel, sur le bois mis au feu. C'est un holocauste, un sacrifice consumé par le feu, d'une agréable odeur à l'Eternel.
तब याजक को पंख के पास से पक्षी को चीरना चाहिए किन्तु पक्षी को दो भागों में नहीं बाँटना चाहिए। याजक को वेदी के ऊपर आग पर रखी लकड़ी के ऊपर पक्षी को जलाना चाहिए। यह होमबलि है अर्थात् आग के द्वारा यहोवा को सुगन्ध से प्रसन्न करना।