أَفَلاَ أَشْفَقُ أَنَا عَلَى نِينَوَى الْمَدِينَةِ الْعَظِيمَةِ الَّتِي يُوجَدُ فِيهَا أَكْثَرُ مِنِ اثْنَتَيْ عَشَرَةَ رِبْوَةً مِنَ النَّاسِ الَّذِينَ لاَ يَعْرِفُونَ يَمِينَهُمْ مِنْ شِمَالِهِمْ، وَبَهَائِمُ كَثِيرَةٌ؟».
यदि तू उस पौधे के लिए व्याकुल हो सकता है, तो देख नीनवे जैसे बड़े नगर के लिये जिसमें बहुत से लोग और बहुत से पशु रहते हैं, जहाँ एक लाख बीस हजार से भी अधिक लोग रहते हैं और जो यह भी नहीं जानते कि वे कोई गलत काम कर रहे हैं, उनके लिये क्या मैं तरस न खाऊँ!”