صَوْتُ الطَّرَبِ وَصَوْتُ الْفَرَحِ، صَوْتُ الْعَرِيسِ وَصَوْتُ الْعَرُوسِ، صَوْتُ الْقَائِلِينَ: احْمَدُوا رَبَّ الْجُنُودِ لأَنَّ الرَّبَّ صَالِحٌ، لأَنَّ إِلَى الأَبَدِ رَحْمَتَهُ. صَوْتُ الَّذِينَ يَأْتُونَ بِذَبِيحَةِ الشُّكْرِ إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ، لأَنِّي أَرُدُّ سَبْيَ الأَرْضِ كَالأَوَّلِ، يَقُولُ الرَّبُّ.
वहाँ सुख और आनन्द की किलोलें होंगी। वहाँ वर—वधु की उमंग भरी चुहल होगी। वहाँ यहोवा के मन्दिर में अपनी भेंट लाने वाले की मधुर वाणी होगी। वे लोग कहेंगे, सर्वशक्तिमान यहोवा की स्तुति करो! यहोवा दयालु है! यहोवा की दया सदा बनी रहती है! लोग ये बातें कहेंगे क्योंकि मैं फिर यहूदा के लिये अच्छे काम करुँगा। यह वैसा ही होगा जैसा आरम्भ में था।” ये बातें यहोवा ने कही।