لِكَيْلاَ تَرْتَفِعَ شَجَرَةٌ مَّا وَهِيَ عَلَى الْمِيَاهِ لِقَامَتِهَا، وَلاَ تَجْعَلُ فَرْعَهَا بَيْنَ الْغُيُومِ، وَلاَ تَقُومُ بَلُّوطَاتُهَا فِي ارْتِفَاعِهَا كُلُّ شَارِبَةٍ مَاءً، لأَنَّهَا قَدْ أُسْلِمَتْ جَمِيعًا إِلَى الْمَوْتِ، إِلَى الأَرْضِ السُّفْلَى، فِي وَسْطِ بَنِي آدَمَ مَعَ الْهَابِطِينَ فِي الْجُبِّ.
“अब कोई भी, उस जल का वृक्ष गर्वीला नहीं होगा। वे बादलों तक पहुँचना नहीं चाहेंगे। कोई भी शक्तिशाली वृक्ष, जो उस जल को पीता है, ऊँचा होने की अपनी प्रशंसा नहीं करेगा। क्यों क्योंकि उन सभी की मृत्यु निश्चित हो चुकी है। वे सभी मृत्यु के स्थान शेओल नामक पाताल लोक में चले जाएंगे। वे उन अन्य लोगों के साथ हो जाएंगे जो मरे और नीचे नरक में चले गए।”