فَتَكَلَّمَتِ الْمَرْأَةُ الَّتِي ابْنُهَا الْحَيُّ لِلْمَلِكِ، لأَنَّ أَحْشَاءَهَا اضْطَرَمَتْ عَلَى ابْنِهَا، وَقَالَتِ: «اسْتَمِعْ يَا سَيِّدِي. أَعْطُوهَا الْوَلَدَ الْحَيَّ وَلاَ تُمِيتُوهُ». وَأَمَّا تِلْكَ فَقَالَتْ: «لاَ يَكُونُ لِي وَلاَ لَكِ. اُشْطُرُوهُ».
दूसरी स्त्री ने कहा, “यह ठीक है। बच्चे को दो टुकड़ों में काट डालो। तब हम दोनों में से उसे कोई नहीं पाएगा।” किन्तु पहली स्त्री, जो सच्ची माँ थी, अपने बच्चे के लिये प्रेम से भरी थी। उसने राजा से कहा, “कृपया बच्चे को न मारें! इसे उसे ही दे दें।”