यूसुफ फ़िरौन के पास गया और उसने कहा, “मेरे पिता, मेरे भाई और उनके सब परिवार यहाँ आ गए हैं। वे अपने सभी जानवर तथा कनान में उनका अपना जो कुछ था, उसके साथ हैं। इस समय वे गोशेन प्रदेश में हैं।”
फ़िरौन ने भाईयों से पूछा, “तुम लोग क्या काम करते हो?” भाईयों ने फ़िरौन से कहा, “मान्यवर, हम लोग चरवाहे हैं। हम लोगों से पहले हमारे पूर्वज भी चरवाहे थे।”
उन्होंने फ़िरौन से कहा, “कनान में भूखमरी का यह समय बहुत बुरा है। हम लोगों के जानवरों के लिए घास वाला कोई भी खेत बचा नहीं रह गया है। इसलिए हम लोग इस देश में रहने आए हैं। आप से हम लोग प्रार्थना करते हैं कि आप कृपा करके हम लोगों को गोशेन प्रदेश में रहने दें।”
तुम मिस्र में कोई भी स्थान उनके रहने के लिए चुन सकते हो। अपने पिता और अपने भाईयों को सबसे अच्छी भूमि दो। उन्हें गोशेन प्रदेश में रहने दो और यदि ये कुशल चरवाहे हैं, तो वे मेरे जानवरों की भी देखभाल कर सकते हैं।”
याकूब ने फ़िरौन से कहा, “बहुत से कष्टों के साथ मेरा छोटा जीवन रहा। मैं केवल एक सौ तीस वर्ष जीवन बिताया हूँ। मेरे पिता और उनके पिता मुझसे अधिक उम्र तक जीवित रहे।”
कुछ समय बाद मिस्र और कनान में लोगों के पास पैसा नहीं रहा। उन्होंने अपना सारा धन अन्न खरीदने में खर्च कर दिया। इसलिए लोग यूसुफ के पास गए और बोले, “कृपा कर हमें भोजन दें। हम लोगों का धन समाप्त हो गया। यदि हम लोग नहीं खाएँगे तो आपके देखते—देखते हम मर जायेंगे।”
किन्तु दूसरे वर्ष लोगों के पास जानवर नहीं रह गए और भोजन खरीदने के लिए कुछ भी न रहा। इसलिए लोग यूसुफ के पास गए और बोले, “आप जानते हैं कि हम लोगों के पास धन नहीं बचा है और हमारे सभी जानवर आपके हो गये हैं। इसलिए हम लोगों के पास कुछ नहीं बचा है। वह बचा है केवल, जो आप देखते हैं, हमारा शरीर और हमारी भूमि।
आपके देखते हुए ही हम निश्चय ही मर जाएँगे। किन्तु यदि आप हमें भोजन देते हैं तो हम फ़िरौन को अपनी भूमि देंगे और उसके दास हो जाएँगे। हमें बीज दो जिन्हें हम बो सकें। तब हम लोग जीवित रहेंगे और मरेंगे नहीं और भूमि हम लोगों के लिए फिर अन्न उगाएगी।”
इसलिए यूसुफ ने मिस्र की सारी भूमि फ़िरौन के लिए खरीद ली। मिस्र के सभी लोगों ने अपने खेतों को यूसुफ के हाथ बेच दिया। उन्होंने यह इसलिए किया क्योंकि वे बहुत भूखे थे।
एक मात्र वही भूमि यूसुफ ने नहीं खरीदी जो याजकों के अधिकार में थी। याजकों को भूमि बेचने की आवश्कता नहीं थी। क्योंकि फ़िरौन उनके काम के लिए उन्हें वेतन देता था। इसलिए उन्होंने इस धन को खाने के लिए भोजन खरीदने में खर्च किया।
यूसुफ ने लोगों से कहा, “अब मैंने तुम लोगों को और तुम्हारी भूमि को फ़िरौन के लिए खरीद लिया है। इसलिए मैं तुमको बीज दूँगा और तुम लोग अपने खेतों में पौधे लगा सकते हो।
फसल काटने के समय तुम लोग फसल का पाँचवाँ हिस्सा फ़िरौन को अवश्य देना। तुम लोग अपने लिए पाँच में से चार हिस्से रख सकते हो। तुम लोग उस बीज को जिसे भोजन और बोने के लिए रखोगे उसे दूसरे वर्ष उपयोग में ला सकोगे। अब तुम अपने परिवारों और बच्चों को खिला सकते हो।”
इसलिए यूसुफ ने उस समय देश में एक नियम बनाया और वह नियम अब तक चला आ रहा है। नियम के अनुसार भूमि से हर एक उपज का पाँचवाँ हिस्सा फ़िरौन का है। फ़िरौन सारी भूमि का स्वामी है। केवल वही भूमि उसकी नहीं है जो याजकों की है।
वह समय आ गया जब इस्राएल (याकूब) समझ गया कि वह जल्दी ही मरेगा, इसलिए उसने अपने पुत्र यूसुफ को अपने पास बुलाया। उसने कहा, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो तुम अपने हाथ मेरी जांघ के नीचे रख कर मुझे वचन दो। वचन दो कि तुम, जो मैं कहूँगा करोगे और तुम मेरे प्रति सच्चे रहोगे। जब मैं मरूँ तो मुझे मिस्र में मत दफनाना।
उसी जगह मुझे दफनाना जिस जगह मेरे पूर्वज दफनाए गए हैं। मुझे मिस्र से बाहर ले जाना और मेरे परिवार के कब्रिस्तान में दफनाना।” यूसुफ ने उत्तर दिया, “मैं वचन देता हूँ कि वही करूँगा जो आप कहते हैं।”