वह व्यक्ति मन्दिर के द्वार पर मुझे वापस ले गया। मैंने मन्दिर की पूर्वी देहली के नीचे से पानी आते देखा। (मन्दिर का सामना मन्दिर की पूर्वी ओर है।) पानी मन्दिर के दक्षिणी छोर के नीचे से वेदी के दक्षिण में बहता था।
वह व्यक्ति पूर्व की ओर हाथ में नापने का फीता लेकर बढ़ा। उसने एक हजार हाथ नापा। तब उसने मुझे उस स्थान से पानी से होकर चलने को कहा। वहाँ पानी केवल मेरे टखने तक गहरा था। उस व्यक्ति ने अन्य एक हजार हाथ नापा। तब उसने उस स्थान पर पानी से होकर चलने को कहा। वहाँ पानी मेरे घुटनों तक आया।
उस व्यक्ति ने अन्य एक हजार हाथ नापा। किन्तु वहाँ पानी इतना गहरा था कि पार न किया जा सके। यह एक नदी बन गया था। पानी तैरने के लिये पर्याप्त गहरा था। यह नदी इतनी गहरी थी कि पार नहीं कर सकते थे।
तब उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, क्या तुमने जिन चीजों को देखा, उन पर गहराई से ध्यान दिया?” तब वह व्यक्ति नदी के किनारे के साथ मुझे वापस ले गया।
तुम मछुआरों को लगातार एनगदी से ऐनेग्लैम तक खड़े देख सकते हो। तुम उनको अपना मछली का जाल फेंकते और कई प्रकार की मछलियाँ पकड़ते देख सकते हो। मृत सागर में उतनी ही प्रकार की मछलियाँ है जितनी प्रकार की भूमध्य सागर में।
हर प्रकार के फलदार वृक्ष नदी के दोनों ओर उगते हैं। इनके पत्ते कभी सूखते और मरते नहीं। इन वृक्षों पर फल लगना कभी रूकता नहीं। वृक्ष हर महीने फल पैदा करते हैं। क्यों क्योंकि पेड़ों के लिये पानी मन्दिर से आता है। पेड़ों का फल भोजन बनेगा, और उनकी पत्तियाँ औषधियाँ होंगी।”
“पूर्व की ओर, सीमा हसरेनोन से हौरान और दमिश्क के बीच जाएगी और यरदन नदी के सहारे गिलाद और इस्राएल की भूमि के बीच पूर्वी समुद्र तक लगातार, तामार तक जायेगी। यह पूर्वी सीमा होगी।
तुम इसे अपनी सम्पत्ति और अपने बीच रहने वाले विदेशियों की सम्पत्ति के रूप में जिनके बच्चे तुम्हारे बीच रहते हैं, बाँटोगे। ये विदेशी निवासी होंगे, ये स्वाभाविक जन्म से इस्राएली होंगे। तुम कुछ भूमि इस्राएल के परिवार समूहों में से उनको बाँटोगे।