सिय्योन के तुम लोगों में से कुछ का जीवन बहुत आराम का है।
सामारिया पर्वत के कुछ लोग अपने को सुरक्षित अनुभव करते है किन्तु तुम पर अनेक विपत्तियाँ आएंगी।
राष्ट्रों के सर्वोतम नगरों के तुम “सम्मानित” लोग हो।
“इस्राएल के लोग” न्याय पाने के लिये तुम्हारे पास आते हैं!
किन्तु तुम सभी विलासों का भोग करते हो।
तुम हाथी दाँत की सेज पर सोते हो और अपने बिछौने पर आराम करते हो।
तुम रेवड़ों में से कोमल मेमने
और बाड़ों में से नये बछड़े खाते हो।
तुम सुन्दर प्यालों में दाखमधु पीया करते हो।
तुम सर्वोत्तम तेलों से अपनी मालिश करते हो
और तुम्हें इसके लिये घबराहट भी नहीं कि
यूसुफ का परिवार नष्ट किया जा रहा है।
वे लोग अब अपने बिछौने पर आराम कर रहे हैं। किन्तु उनका अच्छा समय समाप्त होगा। वे बन्दी के रूप में विदेशों में पहुँचाये जाएंगे और वे प्रथम पकड़े जाने वालों में से कुछ होंगे।
मेरे स्वामी यहोवा ने यह प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने अपना नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा लिया और यह प्रतिज्ञा की:
“मैं उन बातों से घृणा करता हूँ,
जिन पर याकूब को गर्व है।मैं उसकी दृढ़ मीनारों से घृणा करता हूँ।
अत: मैं शत्रु को नगर तथा
नगर की हर एक चीज लेने दूँगा।”
जब कोई मर जाएगा तब कोई सम्बंधी शव लेने आएगा, जिससे वह उसे बाहर ले जा सके और जला सके। सम्बंधी घर में से हड्डियाँ लेने आयेगा। लोग किसी भी उस व्यक्ति से जो घर के भीतर छिपा होगा, पूछेंगे, “क्या तुम्हारे पास कोई अन्य शव है?” वह व्यक्ति उत्तर देगा, “नहीं …।” तब व्यक्ति के सम्बंधी कहेंगे, “चुप! हमें यहोवा का नाम नहीं लेना चाहिये।”
क्या घोड़े शिलाखंड़ो पर दौड़ते हैं नहीं!
क्या लोग समुद्र को बैलों से जोत सकते हैं नहीं।
तो भी तुम हर चीज को उलट—पलट देते हो।
तुम अच्छाई और न्याय को जहर में बदल देते हो।
“किन्तु इस्राएल, मैं तुम्हारे विरूद्ध एक राष्ट्र को भेजूँगा। वह राष्ट्र तुम्हारे सारे देश को, लेबो—हमात से लेकर अराबा नाले तक विपत्ति में डालेंगे।” सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने वह सब कहा।