Deuteronomy 30

cum ergo venerint super te omnes sermones isti benedictio sive maledictio quam proposui in conspectu tuo et ductus paenitudine cordis tui in universis gentibus in quas disperserit te Dominus Deus tuus
“जो मैंने कहा है वह तुम पर घटित होगा। तुम आशीर्वाद से अच्छी चीजें पाओगे और अभिशाप से बुरी चीज़ें पाओगे। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दूसरे राष्ट्रों में भेजेगा। तब तुम इनके बारे में सोचोगे।
reversus fueris ad eum et oboedieris eius imperiis sicut ego hodie praecipio tibi cum filiis tuis in toto corde tuo et in tota anima tua
उस समय तुम और तुम्हारे वंशज यहोवा, अपने परमेश्वर के पास लौटेंगे। तुम पूरे हृदय और आत्मा से उन आदेशों का पालन करोगे जो आज हम ने दिये हैं उनका पूरा पालन करोगे।
reducet Dominus Deus tuus captivitatem tuam ac miserebitur tui et rursum congregabit te de cunctis populis in quos te ante dispersit
तब यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम पर दयालु होगा। यहोवा तुम्हें फिर स्वतन्त्र करेगा। वह उन राष्ट्रों से तुम्हें लौटाएगा जहाँ उसने तुम्हें भेजा था।
si ad cardines caeli fueris dissipatus inde te retrahet Dominus Deus tuus
चाहे तुम पृथ्वी के दूरतम स्थान पर भेज दिये गये हो, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर तुमको इकट्ठा करेगा और तुम्हें वहाँ से वापस लाएगा।
et adsumet atque introducet in terram quam possederunt patres tui et obtinebis eam et benedicens tibi maioris numeri esse te faciet quam fuerunt patres tui
यहोवा तुम्हें उस देश में लाएगा जो तुम्हारे पूर्वजों का था और वह देश तुम्हारा होगा। यहोवा तुम्हारा भला करेगा और तुम्हारे पास उससे अधिक होगा, जितना तुम्हारे पूर्वजों के पास था और तुम्हारे राष्ट्र में उससे अधिक लोग होंगे जितने उनके पास कभी थे।
circumcidet Dominus Deus tuus cor tuum et cor seminis tui ut diligas Dominum Deum tuum in toto corde tuo et in tota anima tua et possis vivere
यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को परिशुद्ध करेगा कि वे उसकी आज्ञा का पालन करना चाहेंगे। तब तुम यहोवा को सम्पूर्ण हृदय से प्रम करोगे और तुम जीवित रहोगे!
omnes autem maledictiones has convertet super inimicos tuos et eos qui oderunt te et persequuntur
“और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इन अभिशापों को तुम्हारे उन शत्रुओं पर उतारेगा जो तुमसे घृणा करते हैं तथा तुम्हें परेशान करते हैं
tu autem reverteris et audies vocem Domini Dei tui faciesque universa mandata quae ego praecipio tibi hodie
और तुम फिर यहोवा की आज्ञा का पालन करोगे। तुम उन सभी आदेशों का पालन करोगे जिन्हें मैंने आज तुम्हें दिये है।
et abundare te faciet Dominus Deus tuus in cunctis operibus manuum tuarum in subole uteri tui et in fructu iumentorum tuorum in ubertate terrae tuae et in rerum omnium largitate revertetur enim Dominus ut gaudeat super te in omnibus bonis sicut gavisus est in patribus tuis
यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उन सब में सफल बनाएगा जो तुम करोगे। वह तुम्हें बहुत से बच्चों के लिये, तुम्हारे मवेशियों को बहुत बछड़े और तुम्हारे खेतों को अच्छी फ़सल होने का वरदान देगा। यहोवा तुम्हारे लिए भला होगा। यहोवा तुम्हारा भला करने में वैसा ही आनन्दित होगा जैसा आनन्दित वह तुम्हारे पूर्वजों का भला करने में होता था।
si tamen audieris vocem Domini Dei tui et custodieris praecepta eius et caerimonias quae in hac lege conscriptae sunt et revertaris ad Dominum Deum tuum in toto corde tuo et in tota anima tua
किन्तु तुम्हें वह सब कुछ करना चाहिए जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे करने को कहता है। तुम्हें उसके आदेशों को मानना और *व्यवस्था की पुस्तक* में लिखे गए नियमों का पालन करना चाहिए। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की ओर अपने पूरे हृदय और आत्मा से हो जाना चाहिए। तब ये सभी अच्छी बातें तुम्हारे लिये होंगी।
mandatum hoc quod ego praecipio tibi hodie non supra te est neque procul positum
“आज जो आदेश मैं तुम्हें दे रहा हूँ, वह तुम्हारे लिये बहुत कठिन नहीं है। यह तुम्हारी पहुँच के बाहर नहीं है।
nec in caelo situm ut possis dicere quis nostrum ad caelum valet conscendere ut deferat illud ad nos et audiamus atque opere conpleamus
यह आदेश स्वर्ग में नहीं है जिससे तुम्हें कहना पड़े, ‘हम लोगों के लिये स्वर्ग में कौन जाएगा और उसे हम लोगों के पास लाएगा जिससे हम उसे सुन सकें और उसका अनुसरण कर सकें?’
neque trans mare positum ut causeris et dicas quis e nobis transfretare poterit mare et illud ad nos usque deferre ut possimus audire et facere quod praeceptum est
यह आदेश समुद्र के दूसरे पार नहीं है जिससे तुम यह कहो कि ‘हमारे लिये समुद्र कौन पार करेगा और इसे लाएगा जिससे हम इसे सुन सकें और कर सकें?’
sed iuxta te est sermo valde in ore tuo et in corde tuo ut facias illum
नहीं, यहोवा का वचन तुम्हारे पास है। यह तुम्हारे मूँह और तुम्हारे हृदय में है जिससे तुम इसे कर सको।
considera quod hodie proposuerim in conspectu tuo vitam et bonum et e contrario mortem et malum
“मैंने आज तुम्हारे सम्मुख जीवन और मृत्यु, समृद्धि और विनाश रख दिया है।
ut diligas Dominum Deum tuum et ambules in viis eius et custodias mandata illius et caerimonias atque iudicia et vivas ac multiplicet te benedicatque tibi in terra ad quam ingredieris possidendam
मैं आज तुम्हें आदेश देता हूँ कि यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो, उसके मार्ग पर चलो और उसके आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करो। तब तुम जीवित रहोगे और तुम्हारा राष्ट्र अधिक बड़ा होगा। और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम वहाँ जा रहे हो।
sin autem aversum fuerit cor tuum et audire nolueris atque errore deceptus adoraveris deos alienos et servieris eis
किन्तु यदि तुम यहोवा से मुँह फेरते हो और उसकी अनसुनी करते हो तथा दूसरे देवताओं की सेवा और पूजा में बहकाये जाते हो
praedico tibi hodie quod pereas et parvo tempore moreris in terra ad quam Iordane transmisso ingredieris possidendam
तब तुम नष्ट कर दिये जाओगे। मैं चेतावनी दे रहा हूँ, तुम यरदन नदी के पार के उस देश में लम्बे समय तक नहीं रहोगे जिसमें जाने के लिये तुम तैयार हो और जिसे तुम अपना बनाओगे।
testes invoco hodie caelum et terram quod proposuerim vobis vitam et mortem bonum et malum benedictionem et maledictionem elige ergo vitam ut et tu vivas et semen tuum
“आज मैं तुम्हें दो मार्ग को चुनने की छूट दे रहा हूँ। मैं धरती—आकाश को तुम्हारे चुनाव का साक्षी बना रहा हूँ। तुम जीवन को चुन सकते हो, या तुम मृत्यु को चुन सकते हो। जीवन का चुनना वरदान लाएगा और मृत्यु को चुनना अभिशाप। इसलिए जीवन को चुनो। तब तुम और तुम्हारे बच्चे जीवित रहेंगे।
et diligas Dominum Deum tuum atque oboedias voci eius et illi adhereas ipse est enim vita tua et longitudo dierum tuorum ut habites in terra pro qua iuravit Dominus patribus tuis Abraham Isaac et Iacob ut daret eam illis
तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए और उसकी आज्ञा माननी चाहिए। उससे कभी विमुख न हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा जीवन है, और यहोवा तुम्हें उस देश में लम्बा जीवन देगा जिसे उसने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था।”