एक दिन रूत ने (मोआबी स्त्री) नाओमी से कहा, “मैं सोचती हूँ कि मैं खेतों में जाऊँ। हो सकता है कि कोई ऐसा व्यक्ति मुझे मिले जो मुझ पर दया करके, मेरे लिए उस अन्न को इकट्ठा करने दे जिसे वह अपने खेत में छोड़ रहा हो।” नाओमी ने कहा, “पुत्री, ठीक है, जाओ।”
ایک دن روت نے اپنی ساس سے کہا، ”مَیں کھیتوں میں جا کر فصل کی کٹائی سے بچی ہوئی بالیں چن لوں۔ کوئی نہ کوئی تو مجھے اِس کی اجازت دے گا۔“ نعومی نے جواب دیا، ”ٹھیک ہے بیٹی، جائیں۔“