वे कभी मन से मुझे नहीं पुकारते हैं।
हाँ, बिस्तर में पड़े हुए वे पुकारा करते हैं।
जब वे नया अन्न और नयी दाखमधु मांगते हैं तब पूजा के अंग के रूप में वे अपने अगों को स्वंय काटा करते हैं।
किन्तु वे अपने हृदय में मुझ से दूर हुये हैं।
وَلاَ يَصْرُخُونَ إِلَيَّ بِقُلُوبِهِمْ حِينَمَا يُوَلْوِلُونَ عَلَى مَضَاجِعِهِمْ. يَتَجَمَّعُونَ لأَجْلِ الْقَمْحِ وَالْخَمْرِ، وَيَرْتَدُّونَ عَنِّي.