وَرِسَالَةٌ إِلَى آسَافَ حَارِسِ فِرْدَوْسِ الْمَلِكِ لِكَيْ يُعْطِيَنِي أَخْشَابًا لِسَقْفِ أَبْوَابِ الْقَصْرِ الَّذِي لِلْبَيْتِ، وَلِسُورِ الْمَدِينَةِ، وَلِلْبَيْتِ الَّذِي أَدْخُلُ إِلَيْهِ». فَأَعْطَانِي الْمَلِكُ حَسَبَ يَدِ إِلهِي الصَّالِحَةِ عَلَيَّ.
मुझे द्वारों, दीवारों, मन्दिरों के चारों ओर के प्राचीरों और अपने घर के लिये लकड़ी की भी आवश्यकता है। इसलिए मुझे आपसे आसाप के नाम भी एक पत्र चाहिए, आसाप आपके जंगलात का हाकिम है।” सो राजा ने मुझे पत्र और वह हर वस्तु दे दी जो मैंने मांगी थी। क्योंकि परमेश्वर मेरे प्रति दयालु था इसलिए राजा ने यह सब कर दिया था।