لِتَكُنْ أُذْنُكَ مُصْغِيَةً وَعَيْنَاكَ مَفْتُوحَتَيْنِ لِتَسْمَعَ صَلاَةَ عَبْدِكَ الَّذِي يُصَلِّي إِلَيْكَ الآنَ نَهَارًا وَلَيْلاً لأَجْلِ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَبِيدِكَ، وَيَعْتَرِفُ بِخَطَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ الَّتِي أَخْطَأْنَا بِهَا إِلَيْكَ. فَإِنِّي أَنَا وَبَيْتُ أَبِي قَدْ أَخْطَأْنَا.
“अपनी आँखें और अपने कान खोल। कृपा करके तेरे सामने तेरा सेवक रात दिन जो प्रार्थना कर रहा है, उस पर कान दे। मैं तेरे सेवक, इस्राएल के लोगों के लिये विनती कर रहा हूँ। मैं उन पापों को स्वीकार करता हूँ जिन्हें हम इस्राएल के लोगों ने तेरे विरूद्ध किये हैं। मैंने तेरे विरूद्ध जो पाप किये हैं, उन्हें मैं स्वीकार कर रहा हूँ तथा मेरे पिता के परिवार के दूसरे लोगों ने तेरे विरूद्ध जो पाप किये हैं, मैं उन्हें भी स्वीकार करता हूँ।