لأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ سَارُوا أَرْبَعِينَ سَنَةً فِي الْقَفْرِ حَتَّى فَنِيَ جَمِيعُ الشَّعْبِ، رِجَالُ الْحَرْبِ الْخَارِجِينَ مِنْ مِصْرَ، الَّذِينَ لَمْ يَسْمَعُوا لِقَوْلِ الرَّبِّ، الَّذِينَ حَلَفَ الرَّبُّ لَهُمْ أَنَّهُ لاَ يُرِيهِمِ الأَرْضَ الَّتِي حَلَفَ الرَّبُّ لآبَائِهِمْ أَنْ يُعْطِيَنَا إِيَّاهَا، الأَرْضَ الَّتِي تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلاً.
यही कारण है कि यहोशू ने उन सभी पुरुषों का खतना किया, जो इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के बाद सेना में रहने की आयु के हो गए थे। मरुभूमि में रहते समय उन सैनिकों में से कई ने यहोवा की बात नहीं मानी थी। इसलिए यहोवा ने उन व्यक्तियों को अभिशाप दिया था कि वे “दूध और शहद की नदियों वाले देश” को नहीं देख पाएंगे। यहोवा ने हमारे पूर्वजों को वह देश देने का वचन दिया था, किन्तु इन व्यक्तियों के कारण लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में भटकना पड़ा और इस प्रकार वे सब सैनिक समाप्त हो गए। वे सभी सैनिक नष्ट हो गए, और उनका स्थान उनके पुत्रों ने लिया। किन्तु मिस्र से होने वाली यात्रा में जितने बच्चे मरुभूमि में उत्पन्न हुए थे, उनमें से किसी का भी खतना नहीं हो सका था। इसलिए यहोशू ने उनका खतना किया।