وَكَلَّمَ إِسْحَاقُ إِبْرَاهِيمَ أَبِاهُ وَقَالَ: «يَا أَبِي!». فَقَالَ: «هأَنَذَا يَا ابْنِي». فَقَالَ: «هُوَذَا النَّارُ وَالْحَطَبُ، وَلكِنْ أَيْنَ الْخَرُوفُ لِلْمُحْرَقَةِ؟»
इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, “पिताजी!” इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हाँ, पुत्र।” इसहाक ने कहा, “मैं लकड़ी और आग तो देखता हूँ, किन्तु वह मेमना कहाँ है जिसे हम बलि के रूप में जलाएंगे?”