وَأَنْتَ يَا ابْنَ آدَمَ، فَقُلْ لِبَنِي شَعْبِكَ: إِنَّ بِرَّ الْبَارِّ لاَ يُنَجِّيهِ فِي يَوْمِ مَعْصِيَتِهِ، وَالشِّرِّيرُ لاَ يَعْثُرُ بِشَرِّهِ فِي يَوْمِ رُجُوعِهِ عَنْ شَرِّهِ. وَلاَ يَسْتَطِيعُ الْبَارُّ أَنْ يَحْيَا بِبِرِّهِ فِي يَوْمِ خَطِيئَتِهِ.
“मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से कहो: ‘यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पुण्य किया है तो उससे उसका जीवन नहीं बचेगा। यदि वह बच जाये और पाप करना शुरु करे। यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पाप किया, तो वह नष्ट नहीं किया जाएगा, यदि वह पाप से दूर हट जाता है। अत: याद रखो, एक व्यक्ति द्वारा अतीत में किये गए पुण्य कर्म उसकी रक्षा नहीं करेंगे, यदि वह पाप करना आरम्भ करता है।’