وَأَتْرُكُكَ فِي الْبَرِّيَّةِ أَنْتَ وَجَمِيعَ سَمَكِ أَنْهَارِكَ. عَلَى وَجْهِ الْحَقْلِ تَسْقُطُ فَلاَ تُجْمَعُ وَلاَ تُلَمُّ. بَذَلْتُكَ طَعَامًا لِوُحُوشِ الْبَرِّ وَلِطُيُورِ السَّمَاءِ.
“‘किन्तु मैं तुम्हारे जबड़े में आँकड़े दूँगा।
नील नदी की मछलियाँ तुम्हारी चमड़ी से चिपक जाएंगी।
मैं तुमको और तुम्हारी मछलियाँ को तुम्हारी नदियों से बाहर कर
सूखी भूमि पर फेंक दूँगा,
तुम धरती पर गिरोगे,
और कोई न तुम्हें उठायेगा, न ही दफनायेगा।
मैं तुम्हें जंगली जानवरों और पक्षियों को दूँगा,
तुम उनके भोजन बनोगे।