उस समय यीशु अपने शिष्यों को बताने लगा कि, उसे यरूशलेम जाना चाहिये। जहाँ उसे यहूदी धर्मशास्त्रियों, बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं और प्रमुख याजकों द्वारा यातनाएँ पहुँचा कर मरवा दिया जायेगा। फिर तीसरे दिन वह मरे हुओं में से जी उठेगा।
Dès lors Jésus commença à faire connaître à ses disciples qu'il fallait qu'il allât à Jérusalem, qu'il souffrît beaucoup de la part des anciens, des principaux sacrificateurs et des scribes, qu'il fût mis à mort, et qu'il ressuscitât le troisième jour.