“सुलैमान, मैंने यहोवा के मन्दिर की योजना बनाने में बड़ा परिश्रम किया है। मैंने तीन हजार सात सौ पचास टन सोना दिया है और मैंने लगभग सैंतीस हजार पाँच सौ टन चाँदी दी है। मैंने काँसा और लोहा इतना अधिक दिया है कि वह तौला नहीं जा सकता और मैंने लकड़ी एवं पत्थर दिये हैं। सुलैमान, तुम उसे और अधिक कर सकते हो।
هأَنَذَا فِي مَذَلَّتِي هَيَّأْتُ لِبَيْتِ الرَّبِّ ذَهَبًا مِئَةَ أَلْفِ وَزْنَةٍ، وَفِضَّةً أَلْفَ أَلْفِ وَزْنَةٍ، وَنُحَاسًا وَحَدِيدًا بِلاَ وَزْنٍ لأَنَّهُ كَثِيرٌ. وَقَدْ هَيَّأْتُ خَشَبًا وَحِجَارَةً فَتَزِيدُ عَلَيْهَا.