Lorsque tu auras achevé de lever toute la dîme de tes produits, la troisième année, l'année de la dîme, tu la donneras au Lévite, à l'étranger, à l'orphelin et à la veuve; et ils mangeront et se rassasieront, dans tes portes.
“जब तुम सारा दशमांश जो तीसरे वर्ष (दशमांश का वर्ष) तुम्हारी फ़सल का दिया जाना है, दे चुको तब तुम्हें लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को इसे देना चाहिए। तब हर एक नगर में वे खा सकते हैं और सन्तुष्ट किये जा सकते हैं।