لأَنَّكَ تَقُولُ: إِنِّي أَنَا غَنِيٌّ وَقَدِ اسْتَغْنَيْتُ، وَلاَ حَاجَةَ لِي إِلَى شَيْءٍ، وَلَسْتَ تَعْلَمُ أَنَّكَ أَنْتَ الشَّقِيُّ وَالْبَئِسُ وَفَقِيرٌ وَأَعْمَى وَعُرْيَانٌ.
तू कहता है, मैं धनी हो गया हूँ और मुझे किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है किन्तु तुझे पता नहीं है कि तू अभागा है, दयनीय है, दीन है, अंधा है और नंगा है।