وَقَالَ لِي: «يَا ابْنَ آدَمَ، هذَا مَكَانُ كُرْسِيِّي وَمَكَانُ بَاطِنِ قَدَمَيَّ حَيْثُ أَسْكُنُ فِي وَسْطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِلَى الأَبَدِ، وَلاَ يُنَجِّسُ بَعْدُ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ اسْمِي الْقُدُّوسَ، لاَ هُمْ وَلاَ مُلُوكُهُمْ، لاَ بِزِنَاهُمْ وَلاَ بِجُثَثِ مُلُوكِهِمْ فِي مُرْتَفَعَاتِهِمْ.
मन्दिर में एक आवाज ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, यही स्थान मेरे सिंहासन और पदपीठ का है। मैं इस स्थान पर इस्राएल के लोगों में सदा रहूँगा। इस्राएल का परिवार मेरे पवित्र नाम को फिर बदनाम नहीं करेगा। राजा और उनके लोग मेरे नाम को अपवित्र करके या इस स्थान पर अपने राजाओं का शव दफनाकर लज्जित नहीं करेंगे।