«وَإِذَا أَغْوَاكَ سِرًّا أَخُوكَ ابْنُ أُمِّكَ، أَوِ ابْنُكَ أَوِ ابْنَتُكَ أَوِ امْرَأَةُ حِضْنِكَ، أَوْ صَاحِبُكَ الَّذِي مِثْلُ نَفْسِكَ قَائِلاً: نَذْهَبُ وَنَعْبُدُ آلِهَةً أُخْرَى لَمْ تَعْرِفْهَا أَنْتَ وَلاَ آبَاؤُكَ
“कोई तुम्हारे निकट का व्यक्ति गुप्त रूप से दूसरे देवताओं की पूजा के लिए तुम्हें सहमत कर सकता है। यह तुम्हारा अपना भाई, पुत्र, पुत्री, तुम्हारी प्रिय पत्नी या तुम्हारा प्रिय दोस्त हो सकता है। वह व्यक्ति कह सकता है, ‘आओ चलें, दूसरे देवताओं की सेवा करें।’ (ये वैसे देवता हैं जिन्हें तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं जाना।