يَنْبَغِي لَنَا أَنْ نَشْكُرَ اللهَ كُلَّ حِينٍ مِنْ جِهَتِكُمْ أَيُّهَا الإِخْوَةُ كَمَا يَحِقُّ، لأَنَّ إِيمَانَكُمْ يَنْمُو كَثِيرًا، وَمَحَبَّةُ كُلِّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ جَمِيعًا بَعْضِكُمْ لِبَعْضٍ تَزْدَادُ،
हे भाईयों, तुम्हारे लिए हमें सदा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, ऐसा करना उचित भी है। क्योंकि तुम्हारे विश्वास का आश्चर्यजनक रूप से विकास हो रहा है तथा तुममें आपसी प्रेम भी बढ़ रहा है।