وَأَمَرَ الْمَلِكُ آحَازُ أُورِيَّا الْكَاهِنَ قَائِلاً: «عَلَى الْمَذْبَحِ الْعَظِيمِ أَوْقِدْ مُحْرَقَةَ الصَّبَاحِ وَتَقْدِمَةَ الْمَسَاءِ، وَمُحْرَقَةَ الْمَلِكِ وَتَقْدِمَتَهُ، مَعَ مُحْرَقَةِ كُلِّ شَعْبِ الأَرْضِ وَتَقْدِمَتِهِمْ وَسَكَائِبِهِمْ، وَرُشَّ عَلَيْهِ كُلَّ دَمِ مُحْرَقَةٍ وَكُلَّ دَمِ ذَبِيحَةٍ. وَمَذْبَحُ النُّحَاسِ يَكُونُ لِي لِلسُّؤَالِ».
आहाज ने याजक ऊरिय्याह को आदेश दिया। उसने कहा, “विशाल वेदी का उपयोग सवेरे की होमबलियों को जलाने के लिये, सन्ध्या की अन्नबलि के लिये और इस देश के सभी लोगों की पेय भेंट के लिये करो। होमबलि और बलियों का सारा खून विशाल वेदी पर छिड़को। किन्तु मैं काँसे की वेदी का उपयोग परमेश्वर से प्रश्न पूछने के लिये करूँगा।”