“तुम इस्राएल के परिवार के लिये भूमि का विभाजन गोट डालकर करोगे। उस समय तुम भूमि का एक भाग अलग करोगे। वह यहोवा के लिये पवित्र हिस्सा होगा। भूमि पच्चीस हजार हाथ लम्बी और बीस हजार हाथ चौड़ी होगी। यह पूरी भूमि पवित्र होगी।
दूसरा क्षेत्र पच्चीस हजार हाथ लम्बा और दस हजार हाथ चौड़ा उन लेविवंशियों के लिये होगा जो मन्दिर में सेवा करते हैं। यह भूमि भी लेविवंशियों की, उनके रहने के नगरों के लिये होगी।
शासक पवित्र स्थान और नगर की अपनी भूमि के दोनों ओर की भूमि अपने पास रखेगा। यह पवित्र क्षेत्र और नगर के क्षेत्र के बीच में होगा। यह उसी चौड़ाई का होगा जो चौड़ाई परिवार समूह की भूमि की है। यह लगातार पश्चिमी सीमा से पूर्वी सीमा तक जाएगा।
यह भूमि इस्राएल में शासक की सम्पत्ति होगी। इस प्रकार शासक को मेरे लोगों के जीवन को भविष्य में कष्टकर बनाने की आवश्यकता नहीं होगी। किन्तु वे भूमि को इस्राएलियों के लिये उनके परिवार समूहों को देंगे।”
मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा, “इस्राएल के शासकों बहुत हो चुका! क्रूर होना और लोगों से चीजें चुराना, छोड़ो! न्यायी बनो और अच्छे काम करो। हमारे लोगों को अपने घरों से बाहर जाने के लिये बलपूर्वक विवश न करो!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।
एक भेड़, दो सौ भेड़ों के लिये — इस्राएल में सिंचाई के लिये बने हर कुँए से।
“ये विशेष भेंटे अन्नबलि, होमबलि और मेलबलि के लिये हैं। ये भेंटे लोगों को पवित्र बनाने के लिये हैं।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।
किन्तु शासक को विशेष पवित्र दिनों के लिये आवश्यक चीजें देनी चाहिए। शासक को होमबलि, अन्नबलि और पेय भेंट की व्यवस्था दावत के दिन, नवचन्द्र, सब्त और इस्राएल के परिवार के सभी विशेष दावतों के लिये करनी चाहिए। शासकों को सभी पापबलि, अन्नबलि, होमबलि, मेलबलि जो इस्राएल के परिवार को पवित्र करने के लिये उपयोग की जाती हैं, देना चाहिए।”
मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें बताई, “पहले महीने में, महीने के प्रथम दिन तुम एक दोष रहित नया बैल लोगे। तुम्हें उस बैल का उपयोग मन्दिर को पवित्र करने के लिये करना चाहिए।
दावत के सात दिन तक शासक दोष रहित सात बैल और सात मेढ़े भेंट करेगा। वे यहोवा को होमबलि होंगे। शासक उत्सव के सात दिन हर रोज एक बैल भेंट करेगा और वह पाप बलि के लिये हर एक दिन एक बकरा भेंट करेगा।
शासक को यही काम उत्सव (शरण) के सात दिन तक करना चाहिए। यह उत्सव सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन आरम्भ होता है। ये भेंटे पापबलि, होमबलि, अन्नबलियाँ और तेल—भेंट होंगी।”