فَرَاغٌ وَخَلاَءٌ وَخَرَابٌ، وَقَلْبٌ ذَائِبٌ وَارْتِخَاءُ رُكَبٍ وَوَجَعٌ فِي كُلِّ حَقْوٍ. وَأَوْجُهُ جَمِيعِهِمْ تَجْمَعُ حُمْرَةً.
अब नीनवे खाली है,
सब कुछ लुट गया है।
नगर बर्बाद हो गया है!
लोगों ने निज साहस खो दिया है।
उनके मन डर से पिघल रहे हैं,
उनके घुटने आपस में टकराते हैं।
उनके तन काँप रहे हैं,
उनके मुख डर से पीले पड़ गये हैं।