«إِنْ رَدَدْتَ عَنِ السَّبْتِ رِجْلَكَ، عَنْ عَمَلِ مَسَرَّتِكَ يَوْمَ قُدْسِي، وَدَعَوْتَ السَّبْتَ لَذَّةً، وَمُقَدَّسَ الرَّبِّ مُكَرَّمًا، وَأَكْرَمْتَهُ عَنْ عَمَلِ طُرُقِكَ وَعَنْ إِيجَادِ مَسَرَّتِكَ وَالتَّكَلُّمِ بِكَلاَمِكَ،
ऐसा उस समय होगा जब तू सब्त के बारे में परमेश्वर के नियमों के विरूद्ध पाप करना छोड़ देगा और ऐसा उस समय होगा जब तू उस विशेष दिन, स्वयं अपने आप को प्रसन्न करने के कामों को करना रोक देगा। सब्त के दिन को तुझे एक खुशी का दिन कहना चाहिये। यहोवा के इस विशेष दिन का तुझे आदर करना चाहिये। जिन बातों को तू हर दिन कहता और करता है, उनको न करते हुए तुझे उस विशेष दिन का आदर करना चाहिये।