Και ο ξυλουργος ενισχυε τον χρυσοχοον και ο λεπτυνων με την σφυραν, τον σφυροκοπουντα επι τον ακμονα, λεγων, Καλον ειναι δια την συγκολλησιν και στερεονει αυτο με καρφια, δια να μη κινηται.
मूर्ति बनानें के लिए एक कारीगर लकड़ी काट रहा है। फिर वह व्यक्ति सुनार को उत्साहित कर रहा है। एक कारीगर हथौड़ें से धातु का पतरा बना रहा है। फिर वह कारीगर निहायी पर काम करनेवाले व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है। यह अखिरी कारीगर कह रहा है, काम अच्छा है किन्तु यह धातु पिंड कहीं उखड़ न जाये। इसलिए इस मूर्ति को आधार पर कील से जड़ दों! उससे मूर्ति गिरेगी नहीं, वह कभी हिलडुल तक नहीं पायेगो।”