वे बच्चे बिलखते हुए अपनी माँओं से पूछते हैं, “कहाँ है माँ, कुछ खाने को और पीने को”
वे यह प्रश्न ऐसे पूछते हैं जैसे जख्मी सिपाही नगर के गलियों में गिरते प्राणों को त्यागते, वे यह प्रश्न पूछते हैं।
वे अपनी माँओं की गोद में लेटे हुए प्राणों को त्यागते हैं।
اپنی ماں سے وہ پوچھتے ہیں، ”روٹی اور مَے کہاں ہے؟“ لیکن بےفائدہ۔ وہ موت کے گھاٹ اُترنے والے زخمی آدمیوں کی طرح چوکوں میں بھوکوں مر رہے ہیں، اُن کی جان ماں کی گود میں ہی نکل رہی ہے۔