“आहाज से जाकर कहना, ‘सावधान रह किन्तु साथ ही शांत भी रह। डर मत। उन दोनों व्यक्तियों रसीन और रमल्याह के पुत्रों से मत डर। वे दो व्यक्ति तो जली हुई लकड़ियों के समान हैं। पहले वे दहका करते थे किन्तु अब वे, बस धुआं मात्र रह गये हैं। रसीन, आराम और रमल्याह का पुत्र कुपित है।
اُسے بتا کہ محتاط رہ کر سکون کا دامن مت چھوڑ۔ مت ڈر۔ تیرا دل رضین، شام اور بن رملیاہ کا طیش دیکھ کر ہمت نہ ہارے۔ یہ بس جلی ہوئی لکڑی کے دو بچے ہوئے ٹکڑے ہیں جو اب تک کچھ دھواں چھوڑ رہے ہیں۔