I Kings 7

राजा सुलैमान ने अपने लिये एक महल भी बनवाया। सुलैमान के महल के निर्माण को पूरा करने में तेरह वर्ष लगे।
جو محل سلیمان نے بنوایا وہ 13 سال کے بعد مکمل ہوا۔
उसने उस इमारत को भी बनाया जिसे, “लबानोन का वन” कहा जाता है। यह डेढ़ सौ फुट लम्बा, पचहत्तर फुट चौड़ा, और पैंतालीस फुट ऊँचा था। इसमें देवदारू के स्तम्भों की चार पंक्तियाँ थीं। हर एक पंक्ति के सिरे पर एक देवदारु का शीर्ष था।
اُس کی ایک عمارت کا نام ’لبنان کا جنگل‘ تھا۔ عمارت کی لمبائی 150 فٹ، چوڑائی 75 فٹ اور اونچائی 45 فٹ تھی۔ نچلی منزل ایک بڑا ہال تھا جس کے دیودار کی لکڑی کے 45 ستون تھے۔ پندرہ پندرہ ستونوں کو تین قطاروں میں کھڑا کیا گیا تھا۔ ستونوں پر شہتیر تھے جن پر دوسری منزل کے فرش کے لئے دیودار کے تختے لگائے گئے تھے۔ دوسری منزل کے مختلف کمرے تھے، اور چھت بھی دیودار کی لکڑی سے بنائی گئی تھی۔
स्तम्भों की पंक्तियों के आर पार जाती हुई देवदारु की शहतीरें थीं। उन्होंने देवदारू के तख्तों को छत के लिये इन शहतीरों पर रखा था। स्तम्भों के हर एक विभाग के लिये पन्द्रह शहतीरें थीं। सब मिलाकर पैंतालीस शहतीरें थीं।
اُس کی ایک عمارت کا نام ’لبنان کا جنگل‘ تھا۔ عمارت کی لمبائی 150 فٹ، چوڑائی 75 فٹ اور اونچائی 45 فٹ تھی۔ نچلی منزل ایک بڑا ہال تھا جس کے دیودار کی لکڑی کے 45 ستون تھے۔ پندرہ پندرہ ستونوں کو تین قطاروں میں کھڑا کیا گیا تھا۔ ستونوں پر شہتیر تھے جن پر دوسری منزل کے فرش کے لئے دیودار کے تختے لگائے گئے تھے۔ دوسری منزل کے مختلف کمرے تھے، اور چھت بھی دیودار کی لکڑی سے بنائی گئی تھی۔
बगल की हर एक दीवार में खिड़कियों की तीन पंक्तियाँ थीं। खिड़कियाँ परस्पर आमने—सामने थीं।
ہال کی دونوں لمبی دیواروں میں تین تین کھڑکیاں تھیں، اور ایک دیوار کی کھڑکیاں دوسری دیوار کی کھڑکیوں کے بالکل مقابل تھیں۔
हर एक के अन्त में तीन दरवाजें थे। सभी दरवाजों के द्वार और चौखटे वर्गाकार थें।
اِن دیواروں کے تین تین دروازے بھی ایک دوسرے کے مقابل تھے۔ اُن کی چوکھٹوں کی لکڑی کے چار چار کونے تھے۔
सुलैमान ने “स्तम्भों का प्रवेश द्वार मण्डप” भी बनाया। यह पच्हत्तर फुट लम्बा और पैंतालीस फुट चौड़ा था। प्रवेश द्वारा मण्डप के साथ साथ स्तम्भों पर टिकी एक छत थी।
اِس کے علاوہ سلیمان نے ستونوں کا ہال بنوایا جس کی لمبائی 75 فٹ اور چوڑائی 45 فٹ تھی۔ ہال کے سامنے ستونوں کا برآمدہ تھا۔
सुलैमान ने एक सिंहासन कक्ष बनाया जहाँ वह लोगों का न्याय करता था। वह इसे “न्याय महाकक्ष” कहता था। कक्ष फर्श से लेकर छत तक देवदारू से मढ़ा था।
اُس نے دیوان بھی تعمیر کیا جو دیوانِ عدل کہلاتا تھا۔ اُس میں اُس کا تخت تھا، اور وہاں وہ لوگوں کی عدالت کرتا تھا۔ دیوان کی چاروں دیواروں پر فرش سے لے کر چھت تک دیودار کے تختے لگے ہوئے تھے۔
जिस भवन में सुलैमान रहता था, वह न्याय महाकक्ष के पीछ दूसरे आँगन में था। यह महल वैसे ही बना था जैसा न्याय महाकक्ष बना था। उसने अपनी पत्नी जो मिस्र के राजा की पुत्री थी, के लिये भी वैसा ही महल बनाया।
دیوان کے پیچھے صحن تھا جس میں بادشاہ کا رہائشی محل تھا۔ محل کا ڈیزائن دیوان جیسا تھا۔ اُس کی مصری بیوی فرعون کی بیٹی کا محل بھی ڈیزائن میں دیوان سے مطابقت رکھتا تھا۔
ये सभी इमारतें बहुमूल्य पत्थर के टुकडों से बनी थीं। ये पत्थर समुचित आकार में आरे से काटे गये थे। ये बहुमूल्य पत्थर नींव से लेकर दीवार की ऊपरी तह तक लगे थे। आँगन के चारों ओर की दीवार भी बहुमूल्य पत्थर के टुकड़ों से बनी थी।
یہ تمام عمارتیں بنیادوں سے لے کر چھت تک اور باہر سے لے کر بڑے صحن تک اعلیٰ قسم کے پتھروں سے بنی ہوئی تھیں، ایسے پتھروں سے جو چاروں طرف آری سے ناپ کے عین مطابق کاٹے گئے تھے۔
नींव विशाल बहुमूल्य पत्थरों से बनीं थीं। कुछ पत्थर पन्द्रह फुट लम्बे थे, और अन्य बारह फुट लम्बे थे।
بنیادوں کے لئے عمدہ قسم کے بڑے بڑے پتھر استعمال ہوئے۔ کچھ کی لمبائی 12 اور کچھ کی 15 فٹ تھی۔
उन पत्थरों के शीर्ष पर अन्य बहुमूल्य पत्थर और देवदारू की शहतीरें थीं।
اِن پر اعلیٰ قسم کے پتھروں کی دیواریں کھڑی کی گئیں۔ دیواروں میں دیودار کے شہتیر بھی لگائے گئے۔
महल के आँगन, मन्दिर के आँगन और मन्दिर के प्रवेश द्वार मण्डप के चारों ओर दीवारें थीं। वे दीवारें पत्थर की तीन पंक्तियों और देवदारु लकड़ी की एक पंक्ति से बनीं थीं।
بڑے صحن کی چاردیواری یوں بنائی گئی کہ پتھروں کے ہر تین ردّوں کے بعد دیودار کے شہتیروں کا ایک ردّا لگایا گیا تھا۔ جو اندرونی صحن رب کے گھر کے ارد گرد تھا اُس کی چاردیواری بھی اِسی طرح ہی بنائی گئی، اور اِسی طرح رب کے گھر کے برآمدے کی دیواریں بھی۔
राजा सुलैमान ने हीराम नामक व्यक्ति के पास सोर में संदेश भेजा। सुलैमान हीराम को यरूशलेम लाया।
پھر سلیمان بادشاہ نے صور کے ایک آدمی کو بُلایا جس کا نام حیرام تھا۔
हीराम की माँ नप्ताली परिवार समूह से इस्राएली थी। उसका मृत पिता सोर का था। हीराम काँसे से चीज़ें बनाता था। वह बहुत कुशल और अनुभवी कारीगर था। अत: राजा सुलैमान ने उसे आने के लिये कहा और हीराम ने उसे स्वीकार किया। इसलिये राजा सुलैमान ने हीराम को काँसे के सभी कामों का अधीक्षक बनाया। हीराम ने काँसे से निर्मित सभी चीज़ों को बनाया।
اُس کی ماں اسرائیلی قبیلے نفتالی کی بیوہ تھی جبکہ اُس کا باپ صور کا رہنے والا اور پیتل کا کاری گر تھا۔ حیرام بڑی حکمت، سمجھ داری اور مہارت سے پیتل کی ہر چیز بنا سکتا تھا۔ اِس قسم کا کام کرنے کے لئے وہ سلیمان بادشاہ کے پاس آیا۔
हीराम ने काँसे के दो स्तम्भ बनाए। हर एक स्तम्भ सत्ताईस फुट लम्बा और अट्ठारह फुट गोलाई वाला था। स्तम्भ खोखले थे और धातु तीन इंच मोटी थी।
پہلے اُس نے پیتل کے دو ستون ڈھال دیئے۔ ہر ستون کی اونچائی 27 فٹ اور گھیرا 18 فٹ تھا۔
हीराम ने दो काँसे के शीर्ष भी बनाए जो साढ़े सात फुट ऊँचे थे। हीराम ने इन शीर्षों को स्तम्भों के सिरों पर रखा।
پھر اُس نے ہر ستون کے لئے پیتل کا بالائی حصہ ڈھال دیا جس کی اونچائی ساڑھے 7 فٹ تھی۔
तब उसने दोनों स्तम्भों के ऊपर के शीर्षों को ढकने के लिये जंजीरों के दो जाल बनाए।
ہر بالائی حصے کو ایک دوسرے کے ساتھ خوب صورتی سے ملائی گئی سات زنجیروں سے آراستہ کیا گیا۔
तब उसने अलंकरण की दो पंक्तियाँ बनाईं जो अनार की तरह दिखते थे। उन्होंने इन काँसे के अनारों को हर एक स्तम्भ के जालों में, स्तम्भों के सिरों के शीर्षों को ढकने के लिये रखा।
اِن زنجیروں کے اوپر حیرام نے ہر بالائی حصے کو پیتل کے 200 اناروں سے سجایا جو دو قطاروں میں لگائے گئے۔ پھر بالائی حصے ستونوں پر لگائے گئے۔ بالائی حصوں کی سوسن کے پھول کی سی شکل تھی، اور یہ پھول 6 فٹ اونچے تھے۔
साढ़े सात फुट ऊँचे स्तम्भों के सिरों के शीर्ष फूल के आकार के बने थे।
اِن زنجیروں کے اوپر حیرام نے ہر بالائی حصے کو پیتل کے 200 اناروں سے سجایا جو دو قطاروں میں لگائے گئے۔ پھر بالائی حصے ستونوں پر لگائے گئے۔ بالائی حصوں کی سوسن کے پھول کی سی شکل تھی، اور یہ پھول 6 فٹ اونچے تھے۔
शीर्ष स्तम्भों के सिरों पर थे। वे कटोरे के आकार के जाल के ऊपर थे। उस स्थान पर शीर्षों के चारों ओर पंक्तियों में बीस अनार थे।
اِن زنجیروں کے اوپر حیرام نے ہر بالائی حصے کو پیتل کے 200 اناروں سے سجایا جو دو قطاروں میں لگائے گئے۔ پھر بالائی حصے ستونوں پر لگائے گئے۔ بالائی حصوں کی سوسن کے پھول کی سی شکل تھی، اور یہ پھول 6 فٹ اونچے تھے۔
हीराम ने इन दोनों काँसे के स्तम्भों को मन्दिर के प्रवेश द्वार पर खड़ा किया। द्वार के दक्षिण की ओर एक स्तम्भ तथा द्वार के उत्तर की ओर दूसरा स्तम्भ खड़ा किया गया। दक्षिण के स्तम्भ का नाम याकीन रखा गया। उत्तर के स्तम्भ का नाम बोआज रखा गया।
حیرام نے دونوں ستون رب کے گھر کے برآمدے کے سامنے کھڑے کئے۔ دہنے ہاتھ کے ستون کا نام اُس نے ’یکین‘ اور بائیں ہاتھ کے ستون کا نام ’بوعز‘ رکھا۔
उन्होंने फूल के आकार के शीर्षों को स्तम्भों के ऊपर रखा। इस प्रकार दोनों स्तम्भों पर काम पूरा हुआ।
بالائی حصے سوسن نما تھے۔ چنانچہ کام مکمل ہوا۔
तब हीराम ने काँसे का एक गोल हौज बनाया। उन्होंने इस हौज को “सागर” कहा। हौज लगभग पैंतालीस फुट गोलाई में था। यह आर—पार पन्द्रह फुट और साढ़े सात फुट गहरा था।
اِس کے بعد حیرام نے پیتل کا بڑا گول حوض ڈھال دیا جس کا نام ’سمندر‘ رکھا گیا۔ اُس کی اونچائی ساڑھے 7 فٹ، اُس کا منہ 15 فٹ چوڑا اور اُس کا گھیرا تقریباً 45 فٹ تھا۔
हौज के बाहरी सिरे पर एक बारी थी। इस बारी के नीचे काँसे के कद्दूओं की दो कतारें हौज को घेरे हुए थीं। काँसे के कद्दू हौज के हिस्से के रूप में एक इकाई में बने थे।
حوض کے کنارے کے نیچے تُونبوں کی دو قطاریں تھیں۔ فی فٹ تقریباً 6 تُونبے تھے۔ تُونبے اور حوض مل کر ڈھالے گئے تھے۔
हौज बारह काँसे के बैलों की पीठों पर टिका था। ये बारहों बैल तालाब से दूर बाहर को देख रहे थे। तीन उत्तर को, तीन पूर्व को, तीन दक्षिण को और तीन पश्चिम को देख रहे थे।
حوض کو بَیلوں کے 12 مجسموں پر رکھا گیا۔ تین بَیلوں کا رُخ شمال کی طرف، تین کا رُخ مغرب کی طرف، تین کا رُخ جنوب کی طرف اور تین کا رُخ مشرق کی طرف تھا۔ اُن کے پچھلے حصے حوض کی طرف تھے، اور حوض اُن کے کندھوں پر پڑا تھا۔
हौज की दीवारें चार इंच मोटी थीं। तालाब के चारों ओर की किनारी एक प्याले की किनारी या फूल की पंखुड़ियों की तरह थी। तालाब की क्षमता लगभग ग्यारह हजार गैलन थी।
حوض کا کنارہ پیالے بلکہ سوسن کے پھول کی طرح باہر کی طرف مُڑا ہوا تھا۔ اُس کی دیوار تقریباً تین انچ موٹی تھی، اور حوض میں پانی کے تقریباً 44,000 لٹر سما جاتے تھے۔
तब हीराम ने दस काँसे की गाड़ीयाँ बनाईं। हर एक छः फुट लम्बी, छः फुट चौड़ी और साढ़े चार फुट ऊँची थी।
پھر حیرام نے پانی کے باسن اُٹھانے کے لئے پیتل کی ہتھ گاڑیاں بنائیں۔ ہر گاڑی کی لمبائی 6 فٹ، چوڑائی 6 فٹ اور اونچائی ساڑھے 4 فٹ تھی۔
गाड़ियाँ वर्गाकार तख्तों को चौखटों में मढ़कर बनायी गयी थीं।
ہر گاڑی کا اوپر کا حصہ سریوں سے مضبوط کیا گیا فریم تھا۔
तख्तों और चौखटों पर काँसे के सिंह, बैल और करूब (स्वर्गदूत) थे। सिंह और बैलों के ऊपर और नीचे फूलों के आकार हथौड़े से काँसे में उभारे गए थे।
فریم کے بیرونی پہلو شیرببروں، بَیلوں اور کروبی فرشتوں سے سجے ہوئے تھے۔ شیروں اور بَیلوں کے اوپر اور نیچے پیتل کے سہرے لگے ہوئے تھے۔
हर एक गाड़ी में चार काँसे के पहिये काँसे की धुरी के साथ थे। कोनों पर विशाल कटोरे के लिए काँसे के आधार बने थे। आधारों पर हथौड़े से फूलों के आकर काँसे में उभारे गए थे।
ہر گاڑی کے چار پہئے اور دو دُھرے تھے۔ یہ بھی پیتل کے تھے۔ چاروں کونوں پر پیتل کے ایسے ٹکڑے لگے تھے جن پر باسن رکھے جاتے تھے۔ یہ ٹکڑے بھی سہروں سے سجے ہوئے تھے۔
कटोरे के लिये ऊपरी सिरे पर एक ढाँचा बना था। यह कटोरों से ऊपर को अट्ठारह इंच ऊँचा था। कटोरे का खुला हुआ गोल भाग सत्ताईस ईंच व्यास वाला था। ढाँचे पर काँसे में आकार उकेरे गए थे। ढाँचा चौकोर था, गोल नहीं।
فریم کے اندر جس جگہ باسن کو رکھا جاتا تھا وہ گول تھی۔ اُس کی اونچائی ڈیڑھ فٹ تھی، اور اُس کا منہ سوا دو فٹ چوڑا تھا۔ اُس کے بیرونی پہلو پر چیزیں کندہ کی گئی تھیں۔ گاڑی کا فریم گول نہیں بلکہ چورس تھا۔
ढाँचे के नीचे चार पहिये थे। पहिये सत्ताईस इंच व्यास वाले थे। पहिये के मध्य के धुरे गाड़ी के साथ एक इकाई के रूप में बने थे।
گاڑی کے فریم کے نیچے مذکورہ چار پہئے تھے جو دُھروں سے جُڑے تھے۔ دُھرے فریم کے ساتھ ہی ڈھل گئے تھے۔ ہر پہیہ سوا دو فٹ چوڑا تھا۔
पहिये रथ के पहियों के समान थे। पहियों की हर एक चीज़—धुरे, परिधि, तीलियाँ और नाभि काँसे की बनी थी।
پہئے رتھوں کے پہیوں کی مانند تھے۔ اُن کے دُھرے، کنارے، تار اور نابھیں سب کے سب پیتل سے ڈھالے گئے تھے۔
हर एक गाड़ी के चारों कोनों पर चार आधार थे। वे गाड़ी के साथ एक इकाई के रूप में बने थे।
گاڑیوں کے چار کونوں پر دستے لگے تھے جو فریم کے ساتھ مل کر ڈھالے گئے تھے۔
हर एक गाड़ी के ऊपरी सिरे के चारों ओर एक काँसे की पट्टी थी। यह गाड़ी के साथ एक इकाई में बनीं थी।
ہر گاڑی کے اوپر کا کنارہ نو انچ اونچا تھا۔ کونوں پر لگے دستے اور فریم کے پہلو ہر جگہ کروبی فرشتوں، شیرببروں اور کھجور کے درختوں سے سجے ہوئے تھے۔ چاروں طرف سہرے بھی کندہ کئے گئے۔
गाड़ी की बगल और ढाँचे पर करूब (स्वर्गदूतों), सिंहों और ताड़ के वृक्षों के चित्र काँसे में उकेरे गए थे। ये चित्र गाड़ियों पर सर्वत्र, जहाँ भी स्थान था, उकेरे गए थे और गाड़ी के चारों ओर के ढाँचे पर फूल उकेरे गए थे।
ہر گاڑی کے اوپر کا کنارہ نو انچ اونچا تھا۔ کونوں پر لگے دستے اور فریم کے پہلو ہر جگہ کروبی فرشتوں، شیرببروں اور کھجور کے درختوں سے سجے ہوئے تھے۔ چاروں طرف سہرے بھی کندہ کئے گئے۔
हीराम ने दस गाड़ियाँ बनाईं और वे सभी एक सी थीं। हर एक गाड़ी काँसे की बनी थीं। काँसे को गलाया गया था और साँचे में ढाला गया था। अत: सभी गाड़ियाँ एक ही आकार और एक ही रूप की थीं।
حیرام نے دسوں گاڑیوں کو ایک ہی سانچے میں ڈھالا، اِس لئے سب ایک جیسی تھیں۔
हीराम ने दस कटोरे भी बनाये। एक—एक कटोरा दस गाड़ियों में से हर एक के लिये था। हर एक कटोरा छ: फुट व्यास वाला था और हर एक कटोरे में दो सौ तीस गैलन आ सकता था।
حیرام نے ہر گاڑی کے لئے پیتل کا باسن ڈھال دیا۔ ہر باسن 6 فٹ چوڑا تھا، اور اُس میں 880 لٹر پانی سما جاتا تھا۔
हीराम ने पाँच गाड़ियों को मन्दीर के दक्षिण और अन्य पाँच गाड़ियों को मन्दिर के उत्तर में रखा। उसने विशाल तालाब को मन्दिर के दक्षिण पूर्व कोने में रखा।
اُس نے پانچ گاڑیاں رب کے گھر کے دائیں ہاتھ اور پانچ اُس کے بائیں ہاتھ کھڑی کیں۔ حوض بنام سمندر کو اُس نے رب کے گھر کے جنوب مشرق میں رکھ دیا۔
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
حیرام نے باسن، بیلچے اور چھڑکاؤ کے کٹورے بھی بنائے۔ یوں اُس نے رب کے گھر میں وہ سارا کام مکمل کیا جس کے لئے سلیمان بادشاہ نے اُسے بُلایا تھا۔ اُس نے ذیل کی چیزیں بنائیں:
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
دو ستون، ستونوں پر لگے پیالہ نما بالائی حصے، بالائی حصوں پر لگی زنجیروں کا ڈیزائن،
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
زنجیروں کے اوپر لگے انار (فی بالائی حصہ 200 عدد)،
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
10 ہتھ گاڑیاں، اِن پر کے پانی کے 10 باسن،
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
حوض بنام سمندر، اِسے اُٹھانے والے بَیل کے 12 مجسمے،
हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है: दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष, शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल। दो जालों के लिये चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये; हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं। वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था, एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था, बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे, और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ। हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं।
بالٹیاں، بیلچے اور چھڑکاؤ کے کٹورے۔ یہ تمام سامان جو حیرام نے سلیمان کے حکم پر رب کے گھر کے لئے بنایا پیتل سے ڈھال کر پالش کیا گیا تھا۔
सुलैमान ने उस काँसे को कभी नहीं तोला जिसका उपयोग इन चीज़ों को बनाने के लिये हुआ था। यह इतना अधिक था कि इसका तौलना सम्भव नहीं था इसलिये सारे काँसे के तौल का कुल योग कभी मलूम नहीं हुआ। राजा ने इन चीज़ों को सुक्कोत और सारतान के बीच यरदन नदी के समीप बनाने का आदेश दिया। उन्होंने इन चीज़ों को, काँसे को गलाकर और जमीन में बने साँचों में ढालकर, बनाया।
بادشاہ نے اُسے وادیِ یردن میں سُکات اور ضرتان کے درمیان ڈھلوایا۔ وہاں ایک فونڈری تھی جہاں حیرام نے گارے کے سانچے بنا کر ہر چیز ڈھال دی۔
सुलैमान ने उस काँसे को कभी नहीं तोला जिसका उपयोग इन चीज़ों को बनाने के लिये हुआ था। यह इतना अधिक था कि इसका तौलना सम्भव नहीं था इसलिये सारे काँसे के तौल का कुल योग कभी मलूम नहीं हुआ। राजा ने इन चीज़ों को सुक्कोत और सारतान के बीच यरदन नदी के समीप बनाने का आदेश दिया। उन्होंने इन चीज़ों को, काँसे को गलाकर और जमीन में बने साँचों में ढालकर, बनाया।
اِس سامان کے لئے سلیمان بادشاہ نے اِتنا زیادہ پیتل استعمال کیا کہ اُس کا کُل وزن معلوم نہ ہو سکا۔
सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं: सुनहली वेदी, सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी) शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।) सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले, दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ, कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे।
رب کے گھر کے اندر کے لئے سلیمان نے درجِ ذیل سامان بنوایا: سونے کی قربان گاہ، سونے کی وہ میز جس پر رب کے لئے مخصوص روٹیاں پڑی رہتی تھیں،
सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं: सुनहली वेदी, सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी) शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।) सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले, दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ, कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे।
خالص سونے کے 10 شمع دان جو مُقدّس ترین کمرے کے سامنے رکھے گئے، پانچ دروازے کے دہنے ہاتھ اور پانچ اُس کے بائیں ہاتھ، سونے کے وہ پھول جن سے شمع دان آراستہ تھے، سونے کے چراغ اور بتی کو بجھانے کے اوزار،
सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं: सुनहली वेदी, सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी) शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।) सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले, दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ, कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे।
خالص سونے کے باسن، چراغ کو کترنے کے اوزار، چھڑکاؤ کے کٹورے اور پیالے، جلتے ہوئے کوئلے کے لئے خالص سونے کے برتن، مُقدّس ترین کمرے اور بڑے ہال کے دروازوں کے قبضے۔
इस प्रकार सुलैमान ने, यहोवा के मन्दिर के लिये जो काम वह करना चाहता था, पूरा किया। तब सुलैमान ने वे सभी चीज़ें लीं जिन्हें उसके पिता दाऊद ने इस उद्देश के लिये सुरक्षित रखी थीं। वह इन चीज़ों को मन्दिर में लाया। उसने चाँदी और सोना यहोवा के मन्दिर के कोषागारों में रखा।
رب کے گھر کی تکمیل پر سلیمان بادشاہ نے وہ سونا چاندی اور باقی تمام قیمتی چیزیں رب کے گھر کے خزانوں میں رکھوا دیں جو اُس کے باپ داؤد نے رب کے لئے مخصوص کی تھیں۔