इसके बाद मैंने देखा कि मेरे सामने एक विशाल भीड़ खड़ी थी जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था। इस भीड़ में हर जाति के हर वंश के, हर कुल के तथा हर भाषा के लोग थे। वे उस सिंहासन और उस मेमने के आगे खड़े थे। वे श्वेत वस्त्र पहने थे और उन्होंने अपने हाथों में खजूर की टहनियाँ ली हुई थीं।
Потому я глянув, і ось натовп великий, що його зрахувати не може ніхто, з усякого люду, і племен, і народів, і язиків, стояв перед престолом і перед Агнцем, зодягнені в білу одежу, а в їхніх руках було пальмове віття.