दूसरे महीने के सातवें दिन, जब नूह छः सौ वर्ष का था, जमीन के नीचे के सभी सोते खुल पड़े और ज़मीन से पानी बहना शुरु हो गया। उसी दिन पृथ्वी पर भारी वर्षा होने लगी। ऐसा लगा मानो आकाश की खिड़कियाँ खुल पड़ी हों। चालीस दिन और चालीस रात तक वर्षा पृथ्वी पर होती रही। ठीक उसी दिन नूह, उसकी पत्नी, उसके पुत्र शेम, हाम और येपेत और उनकी पत्नियाँ जहाज़ पर चढ़े।
Κατα την αυτην ταυτην ημεραν εισηλθεν ο Νωε, και οι υιοι του Νωε, Σημ και Χαμ και Ιαφεθ, και η γυνη του Νωε, και αι τρεις γυναικες των υιων αυτου μετ αυτων, εις την κιβωτον