गुरू का कहना है, “इन सभी बातों को एक साथ इकट्ठी करके मैंने सामने रखा, यह देखने के लिये कि मैं क्या उत्तर पा सकता हुँ? उत्तरों की खोज में तो मैं आज तक हूँ। किन्तु मैंने इतना तो पा ही लिया है कि हजारों में कोई एक अच्छा पुरूष तो मुझे मिला भी किन्तु अच्छी स्त्री तो कोई एक भी नहीं मिली।
Ιδε, τουτο ευρηκα, λεγει ο Εκκλησιαστης, εξεταζων εν προς εν, δια να ευρω τον λογον