एसाव ने अपने पिता की पसंद का विशेष भोजन बनाया। एसाव इसे अपने पिता के पास लाया। उसने अपने पिता से कहा, “पिताजी, उठें और उस भोजन को खाएं जो आपके पुत्र ने आपके लिए मारा है। तब आप मुझे आशीर्वाद दे सकते हैं।”
Esav da lezzetli bir yemek yaparak babasına götürdü. Ona, “Baba, kalk, getirdiğim av etini ye” dedi, “Öyle ki, beni kutsayabilesin.”