“मनुष्य के पुत्र, तुम विद्रोही लोगों के साथ रहते हो। वे सदैव मेरे विरुद्ध गये हैं। देखने के लिये उनकी आँखें हैं जो कुछ मैंने उनके लिये किया है। किन्तु वे उन चीजों को नहीं देखते। सुनने के लिये उनके कान हैं, उन चीजों को जो मैंने उन्हें करने को कहा है। किन्तु वे मेरे आदेश नहीं सुनते। क्यों क्योंकि वे विद्रोही लोग हैं।
Synu człowieczy! ty w pośrodku domu odpornego mieszkasz, którzy mają oczy, aby widzieli, a nie widzą, uszy mają, aby słyszeli, a nie słyszą; przeto, że domem odpornym są.