फिर तत्काल ही लोहा, मिट्टी,काँसा, चाँदी और सोना सब चूर—चूर हो गया और वह चूरा गर्मियों के दिनों में खलिहान के भूसे जैसा हो गया। उन टुकड़ों को हवा उड़ा ले गयी। वहाँ कुछ भी तो नही बचा। कोई यह कह ही नहीं सकता था कि वहाँ कभी कोई मूर्ति थी भी। फिर वह चट्टान जो उस मूर्ति से टकराई थी, एक विशाल पर्वत के रूप में बदल गयी और सारी धरती पर छा गयी।”
Tedy się skruszyło społem żelazo, glina, miedź, srebro i złoto, a było to wszystko jako plewy na bojewisku w lecie, i rozniósł to wiatr, tak, że ich na żadnem miejscu nie znaleziono; a kamień on, który uderzył o obraz, stał się górą wielką i napełnił wszystkę ziemię.