यहोवा के सामने एक छोटे पौधे की तरह उसकी बढ़वार हुई। वह एक ऐसी जड़ के समान था जो सूखी धरती में फूट रही थी। वह कोई विशेष, नहीं दिखाई देता था। न ही उसकी कोई विशेष महिमा थी। यदि हम उसको देखते तो हमें उसमें कोई ऐसी विशेष बात नहीं दिखाई देती, जिससे हम उसको चाह सकते।
Han skød op som en Kvist for hans Åsyn, som et Rodskud af udtørret Jord, uden Skønhed og Pragt til at drage vort Blik, uden Ydre, så vi syntes om ham,