“मोर्दकै, राजा के सभी मुखिया और राजा के प्रांतों के सभी लोग यह जानते हैं कि किसी भी पुरुष अथवा स्त्री के लिए राजा का बस यही एक नियम है कि राजा के पास बिना बुलाये जो भी जाता है, उसे प्राणदण्ड दिया जाता है। इस नियम का पालन बस एक ही स्थिति में उस समय नहीं किया जाता था जब राजा अपने सोने के राजदण्ड को उस व्यक्ति की ओर बढ़ा देता था। यदि राजा ऐसा कर देता तो उस व्यक्ति के प्राण बच जाते थे किन्तु मुझे तीस दिन हो गये हैं और राजा से मिलने के लिये मुझे नहीं बुलाया गया है।”
Alle Kongens Tjenere og Folkene i Kongeos Lande ved, at der for enhver, Mand eller Kvinde, som ukaldet går ind til Kongen i den inderste Gård, kun gælder een Lov, den, at han skal lide Døden, medmindre Kongen rækker sit gyldne Septer ud imod ham; i så Fald beholder han Livet. Men jeg har nu i tredive Dage ikke været kaldt til Kongen!