यीशु ने जब यह सुना तो वह बोला, “यह बीमारी जान लेवा नहीं है। बल्कि परमेश्वर की महिमा को प्रकट करने के लिये है। जिससे परमेश्वर के पुत्र को महिमा प्राप्त होगी।”
यीशु ने उत्तर दिया, “क्या एक दिन में बारह घंटे नहीं होते हैं। यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रकाश में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह इस जगत के प्रकाश को देखता है।
फिर जो यहूदी घर पर उसे सांत्वना दे रहे थे, जब उन्होंने देखा कि मरियम उठकर झटपट चल दी तो वे यह सोच कर कि वह कब्र पर विलाप करने जा रही है, उसके पीछे हो लिये।
वह व्यक्ति जो मर चुका था बाहर निकल आया। उसके हाथ पैर अभी भी कफ़न में बँधे थे। उसका मुँह कपड़े में लिपटा हुआ था। यीशु ने लोगों से कहा, “इसे खोल दो और जाने दो।”
वे यीशु को खोज रहे थे। इसलिये जब वे मन्दिर में खड़े थे तो उन्होंने आपस में एक दूसरे से पूछना शुरू किया, “तुम क्या सोचते हो, क्या निश्चय ही वह इस पर्व में नहीं आयेगा।”