इस पर भी बाकी के ऐसे लोगों ने जो इन महा विनाशों से भी नहीं मारे जा सके थे उन्होंने अपने हाथों से किए कामों के लिए अब भी मन न फिराया तथा भूत-प्रेतों की अथवा सोने, चाँदी, काँसे, पत्थर और लकड़ी की उन मूर्तियों की उपासना नहीं छोड़ी, जो न देख सकती हैं, न सुन सकती हैं और न ही चल सकती हैं।
وَأَمَّا بَقِيَّةُ النَّاسِ الَّذِينَ لَمْ يُقْتَلُوا بِهذِهِ الضَّرَبَاتِ، فَلَمْ يَتُوبُوا عَنْ أَعْمَالِ أَيْدِيهِمْ، حَتَّى لاَ يَسْجُدُوا لِلشَّيَاطِينِ وَأَصْنَامِ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ وَالنُّحَاسِ وَالْحَجَرِ وَالْخَشَبِ الَّتِي لاَ تَسْتَطِيعُ أَنْ تُبْصِرَ وَلاَ تَسْمَعَ وَلاَ تَمْشِيَ،