फिर मैंने देखा कि एक गरुड़ ऊँचे आकाश में उड़ रहा है। मैंने उसे ऊँचे स्वर में कहते हुए सुना, “उन बचे हुए तीन स्वर्गदूतों की तुरहियों के उद्घोष के कारण जो अपनी तुरहियाँ अभी बजाने ही वाले हैं, धरती के निवासियों पर कष्ट हो! कष्ट हो! कष्ट हो!”
ثُمَّ نَظَرْتُ وَسَمِعْتُ مَلاَكًا طَائِرًا فِي وَسَطِ السَّمَاءِ قَائِلاً بِصَوْتٍ عَظِيمٍ:«وَيْلٌ! وَيْلٌ! وَيْلٌ لِلسَّاكِنِينَ عَلَى الأَرْضِ مِنْ أَجْلِ بَقِيَّةِ أَصْوَاتِ أَبْوَاقِ الثَّلاَثَةِ الْمَلاَئِكَةِ الْمُزْمِعِينَ أَنْ يُبَوِّقُوا!».