और जो नित्य रूप से सजीव है, जिसने आकाश को तथा आकाश की सब वस्तुओं को, धरती एवं धरती पर की तथा सागर और जो कुछ उसमें है, उन सब की रचना की है, उसकी शपथ लेकर कहा, “अब और अधिक देर नहीं होगी।
وَأَقْسَمَ بِالْحَيِّ إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ، الَّذِي خَلَقَ السَّمَاءَ وَمَا فِيهَا وَالأَرْضَ وَمَا فِيهَا وَالْبَحْرَ وَمَا فِيهِ: أَنْ لاَ يَكُونَ زَمَانٌ بَعْدُ!