Psalms 43

हे परमेस्वर, एक मनुष्य है जो तेरी अनुसरण नहीं करता वह मनुष्य दुष्ट है और झूठ बोलता है। हे परमेश्वर, मेरा मुकदमा लड़ और यह निर्णय कर कि कोन सत्य है। मुझे उस मनुष्य से बच ले।
اِقْضِ لِي يَا اَللهُ، وَخَاصِمْ مُخَاصَمَتِي مَعَ أُمَّةٍ غَيْرِ رَاحِمَةٍ، وَمِنْ إِنْسَانِ غِشٍّ وَظُلْمٍ نَجِّنِي.
हे परमेस्वर, तू ही मेरा शरणस्थल है! मुझको तूने क्यों बिसरा दिय तूने मुझको यह क्यों नहीं दिखाया कि मै अपने श्त्रुओं से कैसे बच निकलूँ?
لأَنَّكَ أَنْتَ إِلهُ حِصْنِي. لِمَاذَا رَفَضْتَنِي؟ لِمَاذَا أَتَمَشَّى حَزِينًا مِنْ مُضَايَقَةِ الْعَدُوِّ؟
हे परमेश्वर, तू अपनी ज्योति और अपने सत्य को मुझ पर प्रकाशित होने दे। मुझको तेरी ज्योति और सत्य राह दिखायेंगे। वे मुझे तेरे पवित्र पर्वत और अपने घर को ले चलेंगे।
أَرْسِلْ نُورَكَ وَحَقَّكَ، هُمَا يَهْدِيَانِنِي وَيَأْتِيَانِ بِي إِلَى جَبَلِ قُدْسِكَ وَإِلَى مَسَاكِنِكَ.
मैं तो परमेस्वर की वेदी के पास जाऊँगा। परमेश्वर मैं तेरे पास आऊँगा। वह मुझे आनन्दित करता है। हे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, मैं वीणा पर तेरी स्तुति करँगा।
فَآتِي إِلَى مَذْبَحِ اللهِ، إِلَى اللهِ بَهْجَةِ فَرَحِي، وَأَحْمَدُكَ بِالْعُودِ يَا اَللهُ إِلهِي.
मैं इतना दु:खी क्यों हुँ? मैं क्यों इतना व्यकुल हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुती का अवसर मिलेगा। वह मुझे बचाएगा।
لِمَاذَا أَنْتِ مُنْحَنِيَةٌ يَا نَفْسِي؟ وَلِمَاذَا تَئِنِّينَ فِيَّ؟ تَرَجَّيِ اللهَ، لأَنِّي بَعْدُ أَحْمَدُهُ، خَلاَصَ وَجْهِي وَإِلهِي.