Psalms 40

यहोवा को मैंने पुकारा। उसने मेरी सुनी। उसने मेरे रुदन को सुन लिया।
اِنْتِظَارًا انْتَظَرْتُ الرَّبَّ، فَمَالَ إِلَيَّ وَسَمِعَ صُرَاخِي،
यहोवा ने मुझे विनाश के गर्त से उबारा। उसने मुझे दलदली गर्त से उठाया, और उसने मुझे चट्टान पर बैठाया। उसने ही मेरे कदमों को टिकाया।
وَأَصْعَدَنِي مِنْ جُبِّ الْهَلاَكِ، مِنْ طِينِ الْحَمْأَةِ، وَأَقَامَ عَلَى صَخْرَةٍ رِجْلَيَّ. ثَبَّتَ خُطُوَاتِي،
यहोवा ने मेरे मुँह में एक नया गीत बसाया। परमेश्वर का एक स्तुति गीत। बहुतेरे लोग देखेंगे जो मेरे साथ घटा है। और फिर परमेश्वर की आराधना करेंगे। वे यहोवा का विश्वास करेंगे।
وَجَعَلَ فِي فَمِي تَرْنِيمَةً جَدِيدَةً، تَسْبِيحَةً لإِلهِنَا. كَثِيرُونَ يَرَوْنَ وَيَخَافُونَ وَيَتَوَكَّلُونَ عَلَى الرَّبِّ.
यदि कोई जन यहोवा के भरोसे रहता है, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा। और यदि कोई जन मूर्तियों और मिथ्या देवों की शरण में नहीं जायेगा, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
طُوبَى لِلرَّجُلِ الَّذِي جَعَلَ الرَّبَّ مُتَّكَلَهُ، وَلَمْ يَلْتَفِتْ إِلَى الْغَطَارِيسِ وَالْمُنْحَرِفِينَ إِلَى الْكَذِب.
हमारे परमेश्वर यहोवा, तूने बहुतेरे अद्भुत कर्म किये हैं। हमारे लिये तेरे पास अद्भुत योजनाएँ हैं। कोई मनुष्य नहीं जो उसे गिन सके! मैं तेरे किये हुए कामों को बार बार बखानूँगा।
كَثِيرًا مَا جَعَلْتَ أَنْتَ أَيُّهَا الرَّبُّ إِلهِي عَجَائِبَكَ وَأَفْكَارَكَ مِنْ جِهَتِنَا. لاَ تُقَوَّمُ لَدَيْكَ. لأُخْبِرَنَّ وَأَتَكَلَّمَنَّ بِهَا. زَادَتْ عَنْ أَنْ تُعَدَّ.
हे यहोवा, तूने मुझको यह समझाया है: तू सचमुच कोई अन्नबलि और पशुबलि नहीं चाहता था। कोई होमबलि और पापबलि तुझे नहीं चाहिए।
بِذَبِيحَةٍ وَتَقْدِمَةٍ لَمْ تُسَرَّ. أُذُنَيَّ فَتَحْتَ. مُحْرَقَةً وَذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ لَمْ تَطْلُبْ.
सो मैंने कहा, “देख मैं आ रहा हूँ! पुस्तक में मेरे विषय में यही लिखा है।”
حِينَئِذٍ قُلْتُ: «هأَنَذَا جِئْتُ. بِدَرْجِالْكِتَابِ مَكْتُوبٌ عَنِّى:
हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है। मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।
أَنْ أَفْعَلَ مَشِيئَتَكَ يَا إِلهِي سُرِرْتُ، وَشَرِيعَتُكَ فِي وَسَطِ أَحْشَائِي».
महासभा के मध्य मैं तेरी धार्मिकता का सुसन्देश सुनाऊँगा। यहोवा तू जानता है कि मैं अपने मुँह को बंद नहीं रखूँगा।
بَشَّرْتُ بِبِرّ فِي جَمَاعَةٍ عَظِيمَةٍ. هُوَذَا شَفَتَايَ لَمْ أَمْنَعْهُمَا. أَنْتَ يَا رَبُّ عَلِمْتَ.
यहोवा, मैं तेरे भले कर्मो को बखानूँगा। उन भले कर्मो को मैं रहस्य बनाकर मन में नहीं छिपाए रखूँगा। हे यहोवा, मैं लोगों को रक्षा के लिए तुझ पर आश्रित होने को कहूँगा। मैं महासभा में तेरी करुणा और तेरी सत्यता नहीं छिपाऊँगा।
لَمْ أَكْتُمْ عَدْلَكَ فِي وَسَطِ قَلْبِي. تَكَلَّمْتُ بِأَمَانَتِكَ وَخَلاَصِكَ. لَمْ أُخْفِ رَحْمَتَكَ وَحَقَّكَ عَنِ الْجَمَاعَةِ الْعَظِيمَةِ.
इसलिए हे यहोवा, तूअपनी दया मुझसे मत छिपा! तू अपनी करुणा और सच्चाई से मेरी रक्षा कर।
أَمَّا أَنْتَ يَا رَبُّ فَلاَ تَمْنَعْ رَأْفَتَكَ عَنِّي. تَنْصُرُنِي رَحْمَتُكَ وَحَقُّكَ دَائِمًا.
मुझको दुष्ट लोगों ने घेर लिया, वे इतने अधिक हैं कि गिने नहीं जाते। मुझे मेरे पापों ने घेर लिया है, और मैं उनसे बच कर भाग नहीं पाता हूँ। मेरे पाप मेरे सिर के बालों से अधिक हैं। मेरा साहस मुझसे खो चुका है।
لأَنَّ شُرُورًا لاَ تُحْصَى قَدِ اكْتَنَفَتْنِي. حَاقَتْ بِي آثامِي، وَلاَ أَسْتَطِيعُ أَنْ أُبْصِرَ. كَثُرَتْ أَكْثَرَ مِنْ شَعْرِ رَأْسِي، وَقَلْبِي قَدْ تَرَكَنِي.
हे यहोवा, मेरी ओर दौड़ और मेरी रक्षा कर! आ, देर मत कर, मुझे बचा ले!
اِرْتَضِ يَا رَبُّ بِأَنْ تُنَجِّيَنِي. يَا رَبُّ، إِلَى مَعُونَتِي أَسْرِعْ.
वे दुष्ट मनुष्य मुझे मारने का जतन करते हैं। हे यहोवा, उन्हें लज्जित कर और उनको निराश कर दे। वे मनुष्य मुझे दु:ख पहुँचाना चाहते हैं। तू उन्हें अपमानित होकर भागने दे!
لِيَخْزَ وَلْيَخْجَلْ مَعًا الَّذِينَ يَطْلُبُونَ نَفْسِي لإِهْلاَكِهَا. لِيَرْتَدَّ إِلَى الْوَرَاءِ، وَلْيَخْزَ الْمَسْرُورُونَ بِأَذِيَّتِي.
वे दुष्ट जन मेरी हँसी उड़ाते हैं। उन्हें इतना लज्जित कर कि वे बोल तक न पायें!
لِيَسْتَوْحِشْ مِنْ أَجْلِ خِزْيِهِمِ الْقَائِلُونَ لِي: «هَهْ! هَهْ!».
किन्तु वे मनुष्य जो तुझे खोजते हैं, आनन्दित हो। वे मनुष्य सदा यह कहते रहें, “यहोवा के गुण गाओ!” उन लोगों को तुझ ही से रक्षित होना भाता है।
لِيَبْتَهِجْ وَيَفْرَحْ بِكَ جَمِيعُ طَالِبِيكَ. لِيَقُلْ أَبَدًا مُحِبُّو خَلاَصِكَ: «يَتَعَظَّمُ الرَّبُّ».
हे मेरे स्वामी, मैं तो बस दीन, असहाय व्यक्ति हूँ। मेरी रक्षा कर, तू मुझको बचा ले। हे मेरे परमेश्वर, अब अधिक देर मत कर!
أَمَّا أَنَا فَمِسْكِينٌ وَبَائِسٌ. الرَّبُّ يَهْتَمُّ بِي. عَوْنِي وَمُنْقِذِي أَنْتَ. يَا إِلهِي لاَ تُبْطِئْ.